Jharkhand News: झारखंड के प्रवासी श्रमिकों के विदेश में फंसने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। ताजा मामले में हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ और गिरिडीह जिले के डुमरी के पांच श्रमिक अफ्रीका के कैमरून में फंस गए हैं। इनमें सुनील महतो सुकर महतो चंद्रशेखर कुमार डीलों महतो और दिलचंद महतो शामिल हैं। इन सभी ने वीडियो जारी कर अपनी परेशानियां बताई हैं और सरकार से घर वापसी की गुहार लगाई है।
मजदूरी न मिलने से बढ़ी जीवनयापन की कठिनाइयां
फंसे हुए श्रमिकों का आरोप है कि जिस कंपनी में वे काम करने गए थे वहां उन्हें काम के बदले मजदूरी नहीं दी जा रही है। मजदूरी न मिलने से रहने खाने और इलाज जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो गया है। श्रमिकों ने बताया कि कंपनी ने वादे तो बड़े किए थे लेकिन वास्तविकता में उन्हें शोषण का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति ने उनके परिवारों को भी चिंता में डाल दिया है।

वीडियो संदेश में सहायता की पुकार
अपनी गंभीर स्थिति को बताते हुए श्रमिकों ने वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा कि वे भूख और असुरक्षा की स्थिति में फंसे हुए हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से जल्द से जल्द उन्हें भारत वापस लाने की अपील की है। वीडियो में श्रमिकों की हालत देखकर यह स्पष्ट होता है कि वे कितनी कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। उनके परिजन भी लगातार अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाई आवाज
प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने इस मामले को गंभीर बताते हुए सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई श्रमिक अधिक कमाई के लालच में विदेश जाकर फंस चुके हैं। हाल ही में सरकार के प्रयास से ट्यूनीशिया में फंसे 48 श्रमिकों को सुरक्षित स्वदेश लाया गया था। इसके बावजूद श्रमिक अभी भी पुरानी घटनाओं से सबक नहीं ले रहे हैं और बिना सत्यापन के विदेश चले जा रहे हैं।
सरकार से सुरक्षित वापसी की उम्मीद
प्रवासी श्रमिकों के परिवारों को उम्मीद है कि सरकार इस बार भी त्वरित हस्तक्षेप करेगी और श्रमिकों को सुरक्षित भारत वापस लाने की पहल करेगी। यह घटना फिर साबित करती है कि विदेश में नौकरी के नाम पर कई बार श्रमिकों को धोखा मिलता है और उनका शोषण होता है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को ऐसे मामलों पर सख्ती दिखाने की जरूरत है ताकि भविष्य में किसी भी श्रमिक को ऐसी त्रासदी का सामना न करना पड़े। साथ ही श्रमिकों को भी विदेश जाने से पहले सतर्क रहने और पूरी जानकारी हासिल करने की जरूरत है।

