Jharkhand News: झारखंड के गुहीबांध बस पड़ाव स्थित भाकपा माले कार्यालय में शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए श्रम संहिताओं (लेबर कोड) के खिलाफ प्रतिवाद सप्ताह की शुरुआत की गई। भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य हलधर महतो ने इस मौके पर कहा कि ये श्रम संहिता मजदूरों को कारपोरेट मालिकों के गुलाम बनाने की साजिश है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर करते हुए चार नए लेबर कोड थोपे हैं, जो मजदूर वर्ग के विरुद्ध हैं।
मोदी सरकार की श्रम संहिताएं मजदूरों के अधिकारों पर हमला
हलधर महतो ने कहा कि ये चारों लेबर कोड मजदूरों के ऐतिहासिक अधिकारों को छीनने के लिए बनाए गए हैं। उनका स्पष्ट मत है कि इन संहिताओं का उद्देश्य मजदूरों द्वारा वर्षों से चलाए गए संघर्ष, आंदोलन और कुर्बानियों को खत्म करना है। ये कानून न केवल श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और कार्य सुरक्षा को कमज़ोर करेंगे, बल्कि कारपोरेट घरानों और पूंजी मालिकों को निरंकुश अधिकार प्रदान करेंगे। खासकर महिलाओं और असुरक्षित श्रमिकों का शोषण खुलकर होगा।
प्रतिवाद सप्ताह के दौरान व्यापक आंदोलन की योजना
भाकपा माले ने 22 से 28 नवंबर तक एक व्यापक प्रतिवाद सप्ताह आयोजित करने की घोषणा की है। इस दौरान मजदूरों के शोषण और दमन के खिलाफ सशक्त आंदोलन किया जाएगा। हलधर महतो ने सभी मजदूर संगठनों, प्रगतिशील ताकतों, जनसंगठनों और न्यायप्रिय नागरिकों से अपील की है कि वे इस प्रतिवाद में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें। उनका कहना है कि श्रमिकों के संगठित होकर इन जन-विरोधी श्रम कानूनों के खिलाफ आवाज उठाना बेहद जरूरी है।
मजदूरों के हक और हड़ताल के अधिकार पर हमला
भाकपा माले का कहना है कि नई श्रम संहिताएं मजदूरों के हक पर हमला हैं, खासकर हड़ताल और संगठित होकर विरोध जताने के अधिकार को कमजोर करने के लिए बनाई गई हैं। इससे मजदूरों को अपनी मांगें मनवाने में दिक्कत होगी और उन्हें मजबूरन नकारात्मक परिस्थितियों को सहना पड़ेगा। इस संदर्भ में भाकपा माले मोदी सरकार से मांग करती है कि वह तत्काल इन श्रम कानूनों को वापस ले और मजदूरों के हितों की रक्षा करे।
भाकपा माले की इस बैठक में ठाकुर महतो, कपूर पंडित, शंकर प्रजापति, बंटी प्रजापति, विक्रम प्रजापति, बजरंगी प्रजापति, अर्जुन पंडित समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। उन्होंने सभी से श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील की। वर्तमान श्रम संहिताओं ने मजदूर वर्ग की स्थिति को कमजोर किया है। ऐसे में सभी मजदूर संगठनों, प्रगतिशील ताकतों और आम जनता को मिलकर एकजुट होकर सरकार के खिलाफ सशक्त आंदोलन करना होगा ताकि श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और उन्हें न्याय मिल सके।

