झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफ़ान अंसारी इन दिनों सुर्खियों में हैं। वजह है उनका नया और साहसिक फैसला। उन्होंने घोषणा की है कि अब वह नियमित रूप से राज्य के जिला अस्पतालों का दौरा करेंगे और ओपीडी में डॉक्टर की कुर्सी पर बैठकर मरीजों का इलाज करेंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे वहां मंत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक डॉक्टर के रूप में जाएंगे। उनका मानना है कि इससे उन्हें जमीनी हकीकत का पता चलेगा और स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति को समझने में मदद मिलेगी। इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों से लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र तक में चर्चा का माहौल बना दिया है।
निरीक्षण के दौरान सामने आईं व्यवस्थाएं और चुनौतियां
डॉ. अंसारी ने यह घोषणा उस समय की जब वे रांची के रिम्स अस्पताल के आकस्मिक निरीक्षण पर पहुंचे थे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने इमरजेंसी वार्ड, मेडिसिन विभाग, डायग्नोस्टिक सुविधाओं, फार्मेसी और सफाई व्यवस्था का विस्तृत मूल्यांकन किया। उन्होंने मरीजों से बातचीत की और अस्पताल में मौजूद कमियों और सुधारों को खुद परखा। मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री ने कहा कि अस्पताल में पिछले कुछ वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं में काफी सुधार हुआ है। हर दिन हजारों मरीज रिम्स में आते हैं और सेवाओं का विस्तार लगातार हो रहा है, लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है।

सरकारी अस्पतालों में मानवीय व्यवहार को प्राथमिकता
डॉ. अंसारी ने स्पष्ट कहा कि सरकारी अस्पतालों का दायित्व केवल इलाज देना ही नहीं, बल्कि मरीजों को सम्मान, समय पर सेवा और मानवीय व्यवहार उपलब्ध कराना भी है। उन्होंने कहा कि “हर मरीज का यह हक है कि उसे सरकारी अस्पताल में उचित देखभाल, सही दवा और सम्मान मिले।” निरीक्षण के दौरान उन्होंने अस्पताल प्रशासन को साफ-सफाई की स्थिति सुधारने, सभी महत्वपूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और मरीजों की शिकायतों के समाधान की व्यवस्था को मजबूत करने के निर्देश दिए। उनका मानना है कि अस्पताल सेवाओं में सुधार लाने का सबसे अच्छा तरीका है कि समस्याओं को खुद जाकर समझा जाए।
स्वास्थ्य मंत्री की प्राथमिकताएं और सुधारों का रोडमैप
डॉ. अंसारी ने दोहराया कि झारखंड सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उनका कहना है कि राज्य के सरकारी अस्पतालों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। खाली पड़े डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के पद जल्द भरे जाएंगे, ताकि मरीजों को समय पर और बेहतर इलाज मिल सके। साथ ही राज्य के अस्पतालों में विशेषज्ञ सेवाओं का विस्तार भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना जरूरी है, और इसका सबसे प्रभावी तरीका है कि मंत्री और अधिकारी खुद मैदान में उतरें।
जनता की उम्मीदें और स्वास्थ्य प्रणाली में बदलाव की शुरुआत
डॉ. इरफ़ान अंसारी का यह निर्णय स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति उनकी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जनता अब इस पहल से काफी उम्मीदें लगा रही है। यदि मंत्री नियमित रूप से ओपीडी में बैठते हैं, तो इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा, बल्कि डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ में भी जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी। यह कदम राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली में एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत साबित हो सकता है। समय बताएगा कि यह पहल कितनी प्रभावी साबित होती है, लेकिन फिलहाल इसने झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को राष्ट्रीय चर्चा में जरूर ला दिया है।

