Jharkhand School Timing Change: झारखंड में इस बार कड़ाके की ठंड ने लोगों की जिंदगी को मुश्किल कर दिया है। राज्य के कई इलाकों में तापमान लगातार गिर रहा है जिससे सुबह के समय अत्यंत ठंड लगती है। खासतौर पर बच्चों के लिए यह समस्या और भी बढ़ जाती है क्योंकि उन्हें ठंड में जल्दी स्कूल जाना पड़ता है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए जमशेदपुर के आईसीएसई और सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों ने सोमवार से स्कूल की टाइमिंग में बदलाव किया है।
ठंड की मार को देखते हुए स्कूल टाइमिंग में आधे से पूरे घंटे की देरी
आईसीएसई से संबद्ध स्कूलों ने अपनी स्कूल टाइमिंग आधे घंटे आगे बढ़ाई है। पहले जहां बच्चों का स्कूल प्रवेश सुबह 7:30 बजे होता था, अब इसे 8 बजे कर दिया गया है। वहीं, सीबीएसई स्कूलों ने एक घंटे की देरी करते हुए स्कूल खोलने का समय सुबह 7 बजे से बढ़ाकर 8 बजे कर दिया है। यह महत्वपूर्ण कदम बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल प्रशासन द्वारा उठाया गया है ताकि सुबह की सर्दी में बच्चों को ज्यादा परेशानी न हो।
ठंड का असर: गुमला में न्यूनतम तापमान 7.7 डिग्री सेल्सियस
मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि आने वाले दो दिनों में रात का तापमान ज्यादा बढ़ने की संभावना नहीं है। 29 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच न्यूनतम तापमान में 2 से 4 डिग्री की गिरावट होगी जिससे ठंड और बढ़ेगी। गुमला जिले में पिछले 24 घंटों में सबसे कम तापमान 7.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, गोड्डा में अधिकतम तापमान 31.1 डिग्री सेल्सियस रहा। इस तरह के मौसम में स्कूल टाइमिंग में बदलाव बच्चों की सेहत के लिए राहत का कारण साबित होगा।

बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता, स्कूलों का कदम स्वागत योग्य
स्कूल टाइमिंग में यह बदलाव बच्चों की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर किया गया है। ठंड में जल्दी उठने से बच्चों को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। स्कूल प्रशासन की इस पहल से न केवल बच्चों को सुबह के समय ठंड से बचाव मिलेगा बल्कि उनके माता-पिता को भी राहत मिलेगी। स्कूलों का यह कदम समाज में सकारात्मक संदेश दे रहा है कि बच्चों की भलाई के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
भविष्य में भी ऐसे कदमों की आवश्यकता
झारखंड जैसे ठंडे इलाकों में सर्दियों के मौसम में स्कूल टाइमिंग में ऐसे बदलाव आवश्यक होते हैं। यह न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। भविष्य में भी मौसम के अनुसार समय-समय पर स्कूल प्रशासन को अपनी नीति में आवश्यक बदलाव करते रहना चाहिए ताकि बच्चों को किसी भी तरह की परेशानी न हो और उनका शैक्षणिक विकास सही ढंग से हो सके।

