Jharkhand High Court के न्यायाधीश दीपक रोशन की अदालत ने राज्य सरकार को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर प्राथमिक स्कूल के प्रशिक्षित शिक्षकों के वेतन का पुनर्निर्धारण करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि 28 फरवरी 2009 के संकल्प के अनुसार शिक्षकों का वेतन पे बैंड-2 (9300-34800) और ग्रेड पे 4200 रुपये होना चाहिए। अदालत ने सरकार को 12 सप्ताह के भीतर वेतन पुनर्निर्धारण और 8 सप्ताह में संबंधित लाभ देने का निर्देश दिया है।
25 याचिकाकर्ताओं ने लगाई वेतन सुधार की मांग
इस मामले में कुल 25 याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की थी। ये याचिकाकर्ता रांची और लोहरदगा के प्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षक और अन्य सरकारी कर्मचारी हैं। उन्होंने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार जनवरी 2006 से पे-बैंड-2 और ग्रेड पे 4200 रुपये पर वेतन निर्धारण की मांग की थी। उनका दावा है कि राज्य सरकार ने 28 फरवरी 2009 के संकल्प में इस वेतन निर्धारण को स्वीकार किया था, लेकिन वेतन में वह संशोधन अभी तक लागू नहीं हुआ है।

याचिकाकर्ताओं का पक्ष: मूल संकल्प के अनुसार वेतन का अधिकार
याचिकाकर्ताओं के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता तेजस्विता सफलता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 2009 के संकल्प में प्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षकों का एंट्री-स्केल 6500-10500 रुपये और नए वेतन ढांचे में 9300-34800 रुपये ग्रेड पे 4200 रुपये के रूप में स्वीकार किया था। उनका कहना है कि यदि बाद के संकल्पों को भी नजरअंदाज कर दिया जाए, तब भी मूल संकल्प के आधार पर संशोधित वेतन का अधिकार याचिकाकर्ताओं को है।
राज्य सरकार का जवाब और आपत्तियां
राज्य सरकार ने याचिकाकर्ताओं के दावे को चुनौती दी है। सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने 11 सितंबर 2014 के पत्र और 26 मार्च 2018 के संकल्प को भी अदालत में चुनौती दी है, इसलिए वे 13 अगस्त 2014 के संकल्प से मिलने वाले लाभ का दावा नहीं कर सकते। साथ ही, सरकार ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपना वर्तमान वेतन विवरण स्पष्ट रूप से नहीं दिया है, जिसके कारण उन्हें वेतन सुधार के लाभ नहीं मिलना चाहिए।
अदालत का आदेश: वेतन पुनर्निर्धारण जरूरी
अदालत ने राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वे 12 सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ताओं के वेतन का पुनर्निर्धारण करें और इसके बाद 8 सप्ताह के भीतर संबंधित लाभ प्रदान करें। यह फैसला प्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षकों के हित में माना जा रहा है क्योंकि इससे वेतन निर्धारण के मामले में पारदर्शिता आएगी और उनका हक मिलेगा। कोर्ट ने यह भी माना कि सरकार का पूर्व में दिया गया संकल्प शिक्षकों के वेतन निर्धारण की गारंटी है और इसे लागू करना जरूरी है।

